Tuesday 8 March 2011

भूख




उसे
कई वर्षों से
बड़ी जोर की
भूख लगी है
लजीज खाने की
सोच कर
मुंह में जो
आता है पानी
उससे उसे
खुशी होती है
उस दिन
उस मिली हुई
बर्फी को
उसने आगे से खाया


पीछे से खाया
ऊपर से खाया
नीचे से खाया
और तृप्त हो
सो गया
अगली भूख
लगने तक -
जो लड्डू के लिए थी
लड्डू को उसने
मुह में
गोल घुमा-घुमा कर खाया
और बहुत देर तक
उसके स्वाद का
आनंद लेता रहा -
रसगुल्ला मिलने तक
जिसे उसने
मुह में
निचोड़-निचोड़ कर
और चूस-चूस कर खाया
फिर
ऊपर वाले का
अदा किया
शुक्रिया
जिसने
ऐसी बनायी दुनिया
जो अपनी
बदलती भूख के लिए
रोज गढ़ती है
नयी-नयी मिठाइयां.

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