Tuesday 8 March 2011

पाकसाफ

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कहतें हैं
वह पाकसाफ है;
और इसलिए
उनके सारे खून मुआफ है
पर की है मैंने
जो जिन्दादिली में
खूबसूरत गलतियां
उसके जिम्मेदार
क्या नहीं आप है?
ये मजबूरियां,
ये तमाम बंधनों को तोड़ने
की कसमसाहट
ये नथुनों में
पडी नकेल,
ये कानून,

 
ये नियम याद दिलातें है,
घिसट-घिसट कर जीना ही
जिन्दगी है
बाकी सब पाप है,
मनुष्य को
नपुंसक बना
छोड़ देना
प्रकृति का
यह कैसा अभिशाप है?
आँखों पर लगी
चमड़े की अधखुली पट्टी
सीधे देखने पर
मजबूर करती
और उसी ओर पड़ती
इक्के के घोड़े की टाप है,
गुरु द्रोण ने भी
अपने प्रिय शिष्य अर्जुन को
इक्के का घोड़ा ही बनाया
उसे सिर्फ
चिड़िया की आँख दिखी
पूछा,
"और क्या दिखाई दे रहा है?"
अर्जुन बोला,
"गुरुवार शेष सब साफ़ है"
आज
जान-बूझ कर
मुझे दुर्योधन बना
तुम ब्लेकमेल करते हो
यह तुम्हारा कैसा
इन्साफ है
कहतें हैं
वह पाकसाफ है,
और इसलिए
उनके सारे खून मुआफ हैं.

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